Pea cultivation: कमाना चाहते हैं कम लागत में अधिक मुनाफा, तो करें इस किस्म की खेती
Pea cultivation: परंपरागत खेती के बजाय कई तरह की सब्जियां उगाकर किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं। सरकार भी लगातार किसानों को परंपरागत खेती छोड़कर जैविक खेती और नई तकनीक अपनाने पर जोर दे रही है, ताकि उनकी आमदनी बढ़े। किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेतों में कैच क्रॉप उगा रहे हैं। ऐसे में किसान कम समय और कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।
कम लागत में अधिक मुनाफा
खेती में दालों को काफी अहम माना जाता है। यह आहार में प्रोटीन की मात्रा को पूरा करती है। इसके अलावा यह खेतों में मिट्टी की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाती है। पिछले कुछ समय से दालों की पैदावार में कमी आ रही है। साथ ही लोगों को दूसरी फसलों में भी नुकसान हो रहा है। ऐसे में कैच क्रॉप उगाने वाले किसान कम समय और कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। अगर किसान मटर उगाएं, जो सीमित शेल्फ लाइफ वाली खाद्य सामग्री है, तो उनकी आमदनी में तेजी से इजाफा होगा।
Pea साठ दिन में तैयार होती है
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश कुमार के मुताबिक सब्जी की खेती में मटर 60 से 70 दिन में तैयार हो जाती है। इससे अगली फसल बोने के लिए खेत भी खाली हो जाता है। ऐसी परिस्थितियों में किसान खाली खेतों में खाली समय में कैच क्राफ्ट पर काम करके अतिरिक्त पैसे कमा सकते हैं। सब्जी मटर (Pea) की बाजार में बहुत मांग है। मटर में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है, जो डिश की बनावट को बढ़ाता है। प्रोटीन से भरपूर सब्जी मटर (Pea) की उन्नत किस्मों में रश्मि और मधु शामिल हैं।
मटर की इस श्रेणी में 9.3% प्रोटीन
इसे नई दिल्ली में भारतीय अनुसंधान परिषद के आनुवंशिक विभाग के तहत बनाया गया है। अन्य किस्मों के विपरीत, इनमें फलियों की सतह पर रेशेदार झिल्ली नहीं होती है। मटर की इस श्रेणी में 9.3% प्रोटीन होता है। फसल बोने के बाद, फलियाँ साठ से सत्तर दिनों में तैयार हो जाती हैं। जहाँ एक हेक्टेयर में आसानी से 60 से 70 क्विंटल पैदावार होती है।
खेत में यह व्यवस्था होनी चाहिए
इस महीने की बुवाई सब्जी मटर को रेतीली दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा माना जाता है। खेत में जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। अन्यथा फसल को नुकसान होने की संभावना है। हरी मटर उगाने के लिए सितंबर और अक्टूबर सबसे मददगार महीने माने जाते हैं। इन्हें सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर के मध्य तक बोया जाता है।