Cultivation of Bottle Gourd: कम लागत में करें इस हरी सब्जी की खेती, होगी तगड़ी कमाई
Cultivation of Bottle Gourd: तराई क्षेत्र के किसान अब तेजी से सब्जियां उगा रहे हैं, क्योंकि बरसात के मौसम में सब्जियां महंगी होती हैं। इस खेती से किसान अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं, क्योंकि इसमें कम लागत में ज्यादा कमाई होती है। आज के किसान नई-नई तकनीक का इस्तेमाल कर सब्जियां उगा रहे हैं और रोजाना सैकड़ों रुपये कमा रहे हैं। इस समय बाजारों में सब्जियां 20 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बिक रही हैं।
लौकी (Bottle Gourd) की खेती से किसानों की आमदनी बढ़ी।
जानकारी लेने वाले लाठी सिंह ने बताया कि उन्होंने पांच बीघे में लौकी (Bottle Gourd) की खेती शुरू की है। किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली लौकी की खेती फायदेमंद लग रही है। लाठी सिंह का दावा है कि वे मचान तकनीक का इस्तेमाल कर लौकी की खेती कर रहे हैं, जो काफी फायदेमंद है। मचान तकनीक का इस्तेमाल कर लौकी उगा रहे किसान लाठी सिंह के मुताबिक मचान विधि की खासियत यह है कि लौकी की नर्सरी सिर्फ 30 दिन* में तैयार हो जाती है।
इसके बाद बेल के पौधे को मचान के ढांचे पर फैला दिया जाता है। इस तरीके का इस्तेमाल करने का मुख्य लाभ यह है कि लौकी के फल जमीन पर नहीं गिरते, बल्कि मचान की वजह से वे बेलों से लटकते रहते हैं। ऐसा करने से फलों को खराब होने से बचाया जा सकता है। जहां एक सीजन में कोई व्यक्ति आसानी से डेढ़ लाख रुपए तक कमा सकता है, वहीं इस तरीके से बीस से तीस हजार रुपए खर्च होते हैं।
लौकी का उत्पादन पचास दिन बाद शुरू होता है।
पहली लौकी रोपाई के 50 दिन बाद पैदा होती है। इस समय लौकी की बाजार में भारी मांग है, जिससे उत्पादकों को अच्छी कमाई करने में मदद मिल रही है। बाजार में लौकी 20 से 30 डॉलर प्रति किलोग्राम के बीच में बेची जा रही है। इस खेती से किसान समृद्ध हो रहे हैं और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।