Success Story: नौकरी पाने में सफल नहीं हुआ युवक, तो शुरू कर दिया खुद का Business, अब सालाना होती है 10 लाख की कमाई
Success Story: सिकरिया गांव के मूल निवासी कुंदन कुमार ने 2010 में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने अगले छह-सात साल तक रोजगार पाने के लिए काफी प्रयास किए। हालांकि, उन्हें नौकरी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने शिक्षा के बजाय व्यवसाय को अपना करियर चुना। अब वह अपनी कंपनी से सालाना 8 से 10 लाख रुपये कमाते हैं। कंपनी शुरू करने के लिए उन्होंने पीएमईजीपी से पैसे उधार लिए। उन्हें 25 लाख का लोन मिला।
पहला भुगतान करने के बाद अब सरकार ने उन्हें एक करोड़ का लोन (Loan) दिया है। उन्हें उम्मीद है कि इससे उनकी कंपनी और आगे बढ़ेगी। उनकी फर्म के जरिए दस से पंद्रह लोगों को रोजगार मिला है। मीडिया कर्मियों ने उनके कारखाने का दौरा किया और उद्यमी कुंदन कुमार से बात की। उन्होंने कहा कि हमने 2020 में प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMEGP) के तहत 25 लाख रुपये के लोन के लिए आवेदन करके कंपनी शुरू की। उन्होंने रोजगार के बजाय उद्यमशीलता का रास्ता चुना। क्योंकि हमें लगा कि इस पर लोगों की संख्या ज्यादा है।ऐसे में हम लोगों को रोजगार देने का बीड़ा क्यों नहीं उठाते? फिर क्या? पेवर ब्लॉक उद्योग शुरू हुआ।
इस योजना के तहत एक करोड़ का और क्रेडिट मिला
कंपनी की स्थापना के कुछ समय बाद ही कोरोना का प्रकोप शुरू हो गया। लेकिन ऐसी विकट परिस्थिति में भी वे अडिग रहे। युवा व्यवसायी का दावा है कि उन्होंने उस कठिन दौर में भी डटे रहे, मेहनत की और कर्ज चुकाया। नतीजतन, 31 अगस्त को उन्हें पीएमईजीपी 2 से प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत एक करोड़ का और Credit मिला। अब वे मिले पैसों से अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को बढ़ाने पर ध्यान देंगे। उनका दावा है कि पीएमईजीपी 2 बिहार में बड़ी संख्या में लोगों के लिए उपलब्ध है। जहानाबाद में पंद्रह साल से इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है।
आप किस तरह की कंपनी चलाते हैं और इसके क्या फायदे हैं?
उन्होंने कहा कि अब हम पेवर ब्लॉक (Paver Blocks) का फ्लोर बिछाने का उद्योग कर रहे हैं। जब बारिश होती है, तो नई पक्की सड़क पर जगह-जगह मैटीरियल जमा हो जाता है। जमीन फिसलन भरी हो जाती है। हालांकि, फर्श पर रखे जाने पर पेवर ईंटें पानी सोख लेती हैं। नतीजतन यह फिसलन भरी नहीं होती। एक तरह से यह अनुकूल होती है। यह गिट्टी से निकले धूल से बनता है। पहले गिट्टी से निकले धूल को कभी-कभी फेंकना पड़ता था। अब इसका इस्तेमाल पेवर ईंट बनाने में होता है। कुंदन के मुताबिक, अब हम अपने प्लांट से प्रतिदिन तीन से चार हजार ईंट बनाते हैं। इसे पूरा जहानाबाद जिला प्राप्त कर रहा है। इस काम में 10 से 15 लोग लगे हुए हैं। ये लोग प्रतिदिन काम करके अपना आर्थिक भरण-पोषण कर पाते हैं।
ब्याज दर और सब्सिडी की राशि क्या है?
उनका दावा है कि पहला लोन चुकाने के बाद मैंने दूसरा लोन लेने के बारे में सोचा। मैंने इसके बारे में बहुत पूछताछ की। पटना में जब मैंने इसके बारे में पूछा तो पता चला कि बहुत से लोग इस लोन के लिए पात्र नहीं हैं। ऐसे में मैंने डेढ़ साल तक इसके लिए चक्कर लगाया। इस अवधि में सभी शर्तें पूरी कीं। नतीजतन, हम पांच जिलों में से एक ऐसे जिले हैं, जिन्हें एक करोड़ रुपये का लोन मिला है। गया के एक व्यक्ति को 65 लाख रुपये का लोन जारी किया गया है। इस पर बारह प्रतिशत ब्याज दर है। साथ ही 15 प्रतिशत Subsidy भी उपलब्ध है।
आप इस योजना का लाभ कैसे उठा सकते हैं?
कुंदन के अनुसार, इस प्रणाली के तहत काम काफी तेजी से पूरा होता है। अगर आपके सभी दस्तावेज सही हैं तो आपका लोन जल्दी स्वीकृत हो सकता है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको उद्योग विभाग में जाकर अधिक जानकारी लेनी चाहिए। वहां काम करने वाले महाप्रबंधक आपको उस कंपनी के बारे में जानकारी दे सकते हैं जिसे आप शुरू करना चाहते हैं। 150 से ज़्यादा अलग-अलग तरह की कंपनियाँ लोन के लिए आवेदन कर सकती हैं। जिस कंपनी से आप परिचित हैं, उसके लिए आप आवेदन कर सकते हैं। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको कम से कम 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना ज़रूरी है।