AGRICULTURE

मौसम विभाग ने दी बड़ी सलाह, इन फसलों की बुवाई ना करें किसान

Farmers should not sow these crops : भारत भर के किसान, जो लंबे समय से मानसून की बारिश का इंतजार कर रहे हैं, अब लंबे समय तक बारिश के परिणामों का सामना कर रहे हैं। इस अत्यधिक बारिश से कृषि पद्धतियों में व्यवधान उत्पन्न होने और कई क्षेत्रों में फसल की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव (Negative effect on crop yield) पड़ने की संभावना है। किसानों को जलभराव और मिट्टी की जल अवशोषण क्षमता में कमी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे फसल के स्वास्थ्य और समग्र उत्पादकता को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।

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भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी की है, जिसमें किसानों से इन प्रभावों को कम करने और कृषि उत्पादन (agricultural production) की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट रणनीतियों को लागू करने का आग्रह किया गया है।

जलभराव की चिंताएँ और शमन रणनीतियाँ (Waterlogging concerns and mitigation strategies)

 

पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय और नागालैंड जैसे क्षेत्रों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और सिक्किम के उप-हिमालयी क्षेत्रों, ओडिशा, बिहार, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में जलभराव (Water logging) का खतरा है। इन क्षेत्रों में फसल के खेतों से अतिरिक्त पानी की निकासी के लिए सिस्टम स्थापित करना महत्वपूर्ण है। यही उपाय पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, कर्नाटक, तटीय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पर भी लागू होते हैं।

 

देरी से रोपण की संस्तुतियाँ (Late planting recommendations)

 

किसानों को रागी, सोयाबीन, मक्का और मूंगफली (Ragi, soybean, maize and groundnut) जैसी फसलों की बुवाई में देरी करने की सलाह दी जाती है। कोंकण जैसे क्षेत्रों में चावल और रागी की रोपाई को स्थगित कर देना चाहिए। इसी तरह, मध्य महाराष्ट्र के घाट क्षेत्रों में, चावल की रोपाई में देरी करने और सोयाबीन, मक्का और मूंगफली जैसी खरीफ फसलों की बुवाई में देरी करने की सलाह दी जाती है। ये उपाय फसल के विकास के शुरुआती चरणों को अत्यधिक गीली स्थितियों से बचाने में मदद करेंगे, जो अंकुरण और विकास में बाधा (Inhibition of germination and growth) डाल सकती हैं।

 

उचित जल निकासी का महत्व (The importance of proper drainage)

 

जड़ सड़न और अन्य जलजनित बीमारियों को रोकने के लिए उचित जल निकासी प्रणालियों को लागू करना आवश्यक है। इससे पौधों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व (oxygen and nutrients) की आपूर्ति सुनिश्चित होती है।

बागवानी फसलों की सुरक्षा (Protection of Horticultural Crops)

 

भारी बारिश और तेज हवाओं (heavy rain and strong winds) से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए, बागवानी फसलों और सब्जियों को यांत्रिक समर्थन की आवश्यकता होती है। स्टेकिंग पौधों को सीधा रखने में मदद करती है, टूटने से बचाती है और बेहतर वायु परिसंचरण को बढ़ावा देती है, जिससे फंगल संक्रमण (Fungal Infections) का खतरा कम होता है।

 

मौसम पूर्वानुमान की निगरानी और विशेषज्ञ की सलाह लेने का महत्व (Importance of monitoring weather forecasts and taking expert advice)

 

किसानों से आग्रह किया जाता है कि वे मौसम पूर्वानुमान (IMD) के बारे में जानकारी रखें और समय पर और प्रभावी रणनीति (Effective strategies) अपनाने के लिए कृषि सलाह का पालन करें। इससे न केवल फसल की लचीलापन बढ़ेगा बल्कि चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में स्थिरता और उत्पादकता भी सुनिश्चित होगी। इन उपायों को लागू करके, किसान अपनी फसलों को लंबे समय तक बारिश के प्रतिकूल प्रभावों से बचा सकते हैं और एक सफल फसल सुनिश्चित कर सकते हैं।

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